Saturday, 30 May 2015

five story of mahabharat



Religious Scripture Mahabharata, you will hear many different stories are still many such stories which probably you will ever hear. Relates to the Mahabharata the religious treatise about 11 such stories that you need to know.
1.       when kaurvon's army was losing the war with Pandavas, then went to grandfather Bhishma duryodhan offered ' tarpana ' and say that you are not fighting this war with full force. Grandfather Bhishma came quite angry and he immediately read the five gold arrows and some spells. After reading the mantra he said yesterday from duryodhan offered ' tarpana ' these five arrows, they will kill the Pandavas. But don't believe the above grandfather Bhishma duryodhan offered ' tarpana ' and he took the arrow and said he will back these arrows tomorrow morning. The story behind these arrows are also very fun. Lord Krishna when he found out about the arrows she called and said you go to and take arrow demand duryodhan offered ' tarpana ' pancho, duryodhan offered ' tarpana ' lives you once had from bachayi Gandharva.  Instead, he said the demand for one thing take to save lives. The time has come that you those five Take the arrow of gold demand. Arjun duryodhan offered ' tarpana ' and he solicited the arrow. Being a Kshatriya to your Word and arrows by duryodhan offered ' tarpana ' Arjun gave.
2.       If you look at the story of dronacharya was India's first test tube baby. This story is very interesting. Father of dronacharya Maharshi bhardwaj and his mother was a nymph. Indeed, one evening when they were bathing at the Ganges bhardwaj there was a nymph nahati shown. Her beauty has been enchanted and Sage see mantra derives from the body sperm that Sage has a clay pot by submitting in the darkness. This was the birth of dronacharya.
3.       When the Pandavas were close to dying father pandu, he asked his sons to become wise and wisdom they go to eat his brain. Only completed his desire and his brain sehdev eaten. For the first time on her stack in the world got information about things. For the second time at the dinner she currently go about things and declining for the third time in her career on mechanical product information found.
4.       Abhimanyu's wife was the daughter of balarama willst. Balram wanted to be married to the son of duryodhan offered ' tarpana ' lax willst. Loved each other and abhimanyu willst. Abhimanyu to get the help of ghatotkaksh willst. Ghatotkaksh swear he ate so lax by NASDAQ that he will not marry the whole life.
5.       . Sehdev, who had made other wise your father's brain. It was the ability to see the future so duryodhan offered ' tarpana ' his and asked right before starting war muhurt. Sehdev knew it is still his biggest enemy duryodhan offered ' tarpana ' he told the right time to start a war.

Wednesday, 27 May 2015

eleven Story of Mahabharat



धार्मिक ग्रंथ महाभारत से आपने अलग-अलग कई कहानियां सुनी होंगी फिर भी इसमें कई ऐसी कहानियां हैं जिसके बारे में शायद ही आपने कभी सुना होगा. जानिए धार्मिक ग्रंथ  महाभारत से संबंधित 11 ऐसी कहानियां जिसे आपको जरूर जानना चाहिए.

1. जब कौरवों की सेना पांडवों से युद्ध हार रही थी, तब दुर्योधन भीष्म पितामह के पास गया और उन्हें कहने लगा कि आप अपनी पूरी शक्ति से यह युद्ध नहीं लड़ रहे हैं. भीष्म पितामह को काफी गुस्सा आया और उन्होंने तुरंत पांच सोने के तीर लिए और कुछ मंत्र पढ़ा. मंत्र पढ़ने के बाद उन्होंने दुर्योधन से कहा कि कल इन पांच तीरों से वे पांडवों को मार देंगे. मगर दुर्योधन को भीष्म पितामह के ऊपर विश्वास नहीं हुआ और उसने तीर ले लिया और कहा कि वह कल सुबह इन तीरों को वापस करेगा. इन तीरों के पीछे की कहानी भी बहुत मजेदार है. भगवान कृष्ण को जब तीरों के बारे में पता चला तो उन्होंने अर्जुन को बुलाया और कहा कि तुम दुर्योधन के पास जाओ और पांचो तीर मांग लो,  दुर्योधन की जान तुमने एक बार गंधर्व से बचायी थी.  इसके बदले उसने कहा था कि कोई एक चीज जान बचाने के लिए मांग लो. समय गया है कि अभी तुम उन पांच सोने के तीर मांग लो. अर्जुन दुर्योधन के पास गया और उसने तीर मांगा. क्षत्रिय होने के नाते दुर्योधन ने अपने वचन को पूरा किया और तीर अर्जुन को दे दिया.

2. अगर कहानी के हिसाब से देखें तो द्रोणाचार्य भारत के पहले टेस्ट ट्यूब बेबी थे. यह कहानी भी काफी रोचक है. द्रोणाचार्य के पिता महर्षि भारद्वाज थे और उनकी माता एक अप्सरा थीं. दरअसल, एक शाम भारद्वाज शाम में गंगा नहाने गए तभी उन्हें वहां एक अप्सरा नहाती हुई दिखाई दी. उसकी सुंदरता को देख ऋषि मंत्र मुग्ध हो गए और उनके शरीर से शुक्राणु निकला जिसे ऋषि ने एक मिट्टी के बर्तन में जमा करके अंधेरे में रख दिया. इसी से द्रोणाचार्य का जन्म हुआ.

3. जब पांडवों के पिता पांडु मरने के करीब थे तो उन्होंने अपने पुत्रों से कहा कि बुद्धिमान बनने और ज्ञान हासिल करने के लिए वे उनका मस्तिष्क खा जाएं. केवल सहदेव ने उनकी इच्छा पूरी की और उनके मस्तिष्क को खाया. पहली बार खाने पर उसे दुनिया में हो चुकी चीजों के बारे में जानकारी मिली. दूसरी बार खाने पर उसने वर्तमान में घट रही चीजों के बारे में जाना और तीसरी बार खाने पर उसे भविष्य में क्या होनेवाला है, इसकी जानकारी मिली.

4. अभिमन्यू की पत्नी वत्सला बलराम की बेटी थी. बलराम चाहते थे कि वत्सला की शादी दुर्योधन के बेटे लक्ष्मण से हो . वत्सला और अभिमन्यू एक दूसरे से प्यार करते थे. अभिमन्यू ने वत्सला को पाने के लिए घटोत्कक्ष की मदद ली. घटोत्कक्ष ने लक्ष्मण को इतना डराया कि उसने कसम खा ली कि वह पूरी जिंदगी शादी नहीं करेगा.

5. अर्जुन के बेटे इरावन ने अपने पिता की जीत के लिए खुद की बलि दी थी. बलि देने से पहले उसकी अंतमि इच्छा थी कि वह मरने से पहले शादी कर ले. मगर इस शादी के लिए कोई भी लड़की तैयार नहीं थी क्योंकि शादी के तुरंत बाद उसके पति को मरना था. इस स्थिति में भगवान कृष्ण ने मोहिनी का रूप लिया और इरावन से केवल शादी की बल्कि एक पत्नी की तरह उसे विदा करते हुए रोए भी.

6. सहदेव, जो अपने पिता का मस्तिष्क खाकर बुद्धिमान बना था. उसमें भविष्य देखने की क्षमता थी इसलिए दुर्योधन उसके पास गया और युद्ध शुरू करने से पहले सही मुहूर्त पूछा. सहदेव यह जानता था कि दुर्योधन उसका सबसे बड़ा शत्रु है फिर भी उसने युद्ध शुरू करने का सही समय बताया.

7. धृतराष्ट्र का एक बेटा युयत्सु नाम का भी था. युयत्सु एक वैश्य महिला का बेटा था. दरअसल, धृतराष्ट्र के संबंध एक दासी के साथ था, जिससे युयत्सु पैदा हुआ था.

8. महाभारत के युद्ध में उडुपी के राजा ने निरपेक्ष रहने का फैसला किया था. उडुपी के राजा तो पांडव की तरफ से थे और ही कौरव की तरफ से. उडुपी के राजा ने कृष्ण से कहा था कि कौरवों और पांडवों की इतनी बड़ी सेना को भोजन की जरूरत होगी और हम दोनों तरफ की सेनाओं को भोजन बनाकर खिलाएंगें. 18 दिन तक चलने वाले इस युद्ध में कभी भी खाना कम नहीं पड़ा. सेना ने जब राजा से इस बारे में पूछा तो उन्होंने इसका श्रेय कृष्ण को देते हुए कहा  कि जब कृष्ण के भोजन करते हैं तो उनके आहार से उन्हें पता चल जाता है कि कल कितने लोग मरने वाले हैं और खाना इसी हिसाब से बनाया जाता है.

9. जब दुर्योधन युद्ध कुरूक्षेत्र क्षेत्र में आखिरी सांस से ले रहा था, उस समय उसने अपनी तीन उंगलियां उठा रखी थी. भगवान कृष्ण उसके पास गए और समझ गए कि दुर्योधन कहना चाहता है कि अगर वह तीन गलतियां नहीं युद्ध में ना करता तो युद्ध जीत लेता. मगर कृष्ण ने दुर्योधन को कहा कि अगर तुम कुछ भी कर लेते तब भी हार जाते. ऐसा सुनने के बाद दुर्योधन ने अपनी उंगली नीचे कर ली.

10. कर्ण और दुर्योधन की दोस्ती के किस्से तो काफी मशहूर हैं. कर्ण और दुर्योधन की पत्नी दोनों एक बार शतरंज खेल रहे थे. इस खेल में कर्ण जीत रहा था तभी भानुमति ने दुर्योधन को आते देखा और खड़े होने की कोशिश की. दुर्योधन के आने के बारे में कर्ण को पता नहीं था. इसलिए जैसे ही भानुमति ने उठने की कोशिश की, कर्ण ने उसे पकड़ना चाहा. भानुमति के बदले उसके मोतियों की माला उसके हाथ में गई और वह टूट गई. दुर्योधन तब तक कमरे में चुका था. दुर्योधन को देख कर भानुमति और कर्ण दोनों डर गए कि दुर्योधन को कहीं कुछ गलत शक ना हो जाए. मगर दुर्योधन को कर्ण पर काफी विश्वास था, उसने सिर्फ इतना कहा कि मोतियों को उठा लें.

11. कर्ण दान करने के लिए काफी प्रसिद्ध था. कर्ण जब युद्ध क्षेत्र में आखिरी सांस ले रहा था तो भगवान कृष्ण ने उसके दानशीलता की परीक्षा लेनी चाही. वे गरीब ब्राह्मण बनकर कर्ण के पास गए और कहा कि तुम्हारे बारे में काफी सुना हूं और तुमसे मुझे अभी कुछ उपहार चाहिए. कर्ण ने उत्तर में कहा कि आप जो भी चाहें मांग लें. ब्राह्मण ने सोना मांगा. कर्ण ने कहा कि सोना तो उसके दांत में है और आप इसे ले सकते हैं. ब्राह्मण ने जवाब दिया कि मैं इतना कायर नहीं हूं कि तुम्हारे  दांत तोड़ूं. कर्ण ने तब एक पत्थर उठाया और अपने दांत तोड़ लिए. ब्राह्मण ने इसे भी लेने से इंकार करते हुए कहा कि खून से सना हुआ यह सोना वह नहीं ले सकता. कर्ण ने इसके बाद एक बाण उठाया और आसमान की तरफ चलाया. इसके बाद बारिश होने लगी और दांत धुल गया