Friday, 4 September 2015

वश में करना हो तो ध्यान रखें चाणक्य की ये नीति

वश में करना यानी किसी व्यक्ति को अपने नियंत्रण में करना। यदि कोई व्यक्ति हमारे वश में हो जाता है तो उससे हम कोई भी काम करवा सकते हैं। आचार्य चाणक्य ने एक नीति को बताया है कि किन लोगों को कैसे वश में किया जा सकता है। यहां जानिए चाणक्य की नीति...

लुब्धमर्थेन गृह्णीयात् स्तब्धमंजलिकर्मणा।
मूर्खं छन्दानुवृत्त्या च यथार्थत्वेन पण्डितम्।।

इस श्लोक में आचार्य ने कहते है कि हमारे आसपास कई प्रकार के लोग हैं। कुछ धन के लालची भी होते हैं। यदि कोई व्यक्ति लालची है तो उसे वश में करने का सबसे सरल उपाय यह है कि उसे धन दे दिया जाए। लालची इंसान को पैसा मिल जाएगा तो वह हमारे वश में हो सकता है।
यहां दी गई नीति में दूसरा व्यक्ति है अहंकारी- यदि कोई व्यक्ति अहंकारी है और दूसरों को नीचा दिखाने की कोशिश करता है तो उसे वश में करना हो तो उसके सामने हाथ जोड़कर उसका मान-सम्मान करना चाहिए। ऐसे मान-सम्मान से अहंकारी इंसान बहुत प्रसन्न हो जाएगा और वह अनजाने में ही आपके वश में हो जाएगा।
तीसरा व्यक्ति है मूर्ख- किसी मूर्ख व्यक्ति को वश में करना हो तो हमें वैसे काम ही करना चाहिए जैसा वह चाहता है। समय-समय पर मूर्ख व्यक्ति की तारीफ भी करते रहना चाहिए। ऐसा करने पर वह हमारी बातें मानेगा और हमें परेशान नहीं करेगा।
चौथा व्यक्ति है बुद्धिमान- किसी बुद्धिमान व्यक्ति को वश में करना बहुत मुश्किल होता है। बुद्धिमान लोगों को वश में करने के लिए हमें भी बुद्धिमानी से ही काम करना होगा। समझदार व्यक्ति के सामने नीतियों की और ज्ञान की बातें करेंगे तो वह भी वश में हो सकता है।
 

No comments:

Post a Comment