Wednesday, 4 November 2015

दुनिया के मखाना उत्पादन में देश के इस क्षेत्र की हिस्सेदारी 85 से 90 फीसदी है।



सीमांचल और मिथिलांचल क्षेत्र एक खासियत के लिए दुनिया भर में जाने जाते हैं। और वह खासियत है यहां का वर्ल्ड फेमस मखाना। आपको जानकार हैरत होगी कि देश ही नहीं, बल्कि, दुनिया के 100 में से 90 देशों के लोग उत्तर-पूर्वी बिहार में पैदा होने वाले माखनों को बड़े चाव से खाते हैं। दुनिया के मखाना उत्पादन में इस क्षेत्र की हिस्सेदारी 85 से 90 फीसदी है। पर, एक सच यह भी है कि यहां का मखाना उद्योग उतना आर्गनाइज नहीं है, जितना उसे होना चाहिए था।

कहां-कहां होती है इनकी खेती


बिहार में मखाना के उत्पादन के लिए दरभंगा, मधुबनी, सुपौल और समस्तीपुर जिले जाने जाते हैं। मधुबनी जिले में ही 25,000 से ज्यादा तालाब हैं, जहां मखाने की खेती होती है।
 
90 फीसदी मखाना की खेती सिर्फ बिहार में
देश में लगभग 15 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में मखाने की खेती होती है, जिसमें 80 से 90 फीसदी उत्पादन अकेले बिहार में होता है। इसके उत्पादन में 70 फीसदी हिस्सा सिर्फ मिथिलांचल का है।लगभग 120,000 टन बीज मखाने का उत्पादन होता है, जिससे 40,000 टन मखाने का लावा प्राप्त होता है। देश में मखाने का कुल कारोबार 550 करोड़ रुपए का है।
कई फायदे हैं मखाने खाने के:
प्रति 100 ग्राम भुने मखाने में 9.7 फीसदी प्रोटीन, 75 फीसदी कार्बोहाइड्रेट, आयरन और वसा के अलावा 382 किलो कैलोरी मिलती है। इसमें दूध और अंडे के मुकाबले ज्यादा प्रोटीन पाया जाता है। अगर इसे नियमित खाया जाए तो यह काफी हेल्दी है।
ऐसे होती है मखाने की खेती:
मखाना पानी की एक घास है, जिसे कुरूपा अखरोट भी कहा जाता है। यह बिहार के उथले पानी वाले तालाबों में बढ़ने वाली घास है। इसके बीज सफेद और छोटे होते हैं, दिसंबर से जनवरी के बीच मखाना के बीजों की बोआई तालाबों में होती है। पानी की निचली सतह पर बीजों को गिराया जाता है। अधिक पानी वाले गहरे तालाब मखाने की खेती के लिए सही नहीं होते हैं। कम और उथले पाली वाले तालाबों में 1 से डेढ़ मीटर की दूरी पर बीज गिराए जाते हैं। एक हेक्टेयर तालाब में 80 किलो बीज बोए जाते हैं।
काले मखाने को ऐसे बनाया जाता है खाने लायक:
सूरज की धूप में बीजों को सुखाया जाता है। तब तक ये बीच काले होते हैं। फिर, बीजों के आकार के आधार पर उन की ग्रेडिंग की जाती है। उन्हें फोड़ा और उबाला जाता है। बिहार में कई परिवार आज भी इसे परपरांगत तरीके से ही तैयार करते हैं।
लाखों कमा सकते हैं अच्छी फसल से:
एक हेक्टेयर जमीन में एक हजार से 1500 किलो ग्राम तक मखाने उत्पन्न होते हैं। आमतौर पर मखानों से सलाना लगभग 17 लाख रुपए तक की कमाई हो जाती है।

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