क्या होता है
पगपायला
आम तौर पर
जन्म के समय
मां के गर्भ
से शिशु का
सिर पहले बाहर
आता है। लेकिन
कुछ विलक्षण शिशु
ऐसे होते हैं
कि जन्म के
समय उनका सिर
नहीं बल्कि पैर
पहले गर्भ से
बाहर आते हैं।
ऐसे बच्चों को
तंत्र की भाषा
में पगपायला कहा
जाता है। अघोर तंत्र
के तांत्रिक यह
मानते हैं कि
पगपायले बच्चे तंत्र क्रिया
के लिए सबसे
बेहतर माध्यम होते
हैं। लेकिन इसमें
कितनी सच्चाई है
ये कहना मुश्किल
है।
पगपायले के माध्यम
से
ढूंढते
हैं
खजाना,
धन
और
लॉटरी
या
सट्टे
का
नंबर
अघोर
तंत्र के तांत्रिक
देखने मात्र से
ही पगपायले की
पहचान कर लेते
है। फिर किसी
भी तरह से
उसको नियंत्रण में
करके उस पर
तांत्रिक प्रयोग करने की
कोशिश करते हैं।
यह लोग ऐसा
मानते हैं कि
पगपायले पर उच्चाटन,
मोहन और वशीकरण
किया जाए तो
वो ऐसी स्थिति
में पहुंच जाता
है, जहां से
उसे सब कुछ
नजर आने लगता
है। फिर उसके
माध्यम से तांत्रिक
छुपा हुआ खजाना,
गड़ा हुआ धन,
यहां तक कि
लॉटरी या सट्टे
का नंबर भी
पता करने का
दावा करते हैं।
इसलिए कई लोग
लालच में आकर
अपने बच्चे इनको
सौंप देते हैं।
विलक्षण प्रतिभा के
धनी
होते
हैं
पगपायले
जो लोग
पगपायले होते हैं,
वो सामान्य लोगों
से अलग होते
हैं। ये देखा
गया है कि
उनमे कुछ तरह
की विलक्षणता होती
है। उनकी चेतना
का स्तर सामान्य
लोगों से थोड़ा
ऊंचा होता है,
वो प्रकृति के
करीब होते हैं।
ऐसे लोगों में
पूर्वाभास की क्षमता
भी होती है।
सच्चा तांत्रिक कभी
इस
तरह
की
क्रियाएं
नहीं
करता
वेद और शास्त्रों
में इस तरह
के प्रयोगों को
बहुत निंदनीय बताया
गया है। वैदिक
विद्वान तो छोड़िए,
अघोर तंत्र का
भी सच्चा तांत्रिक
इस तरह के
प्रयोग नहीं करता।
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