Friday, 29 January 2016

वायु शरीर के भीतर पांच भागो में स्थिर हो जाती है।

मानव शरीर में स्थित वायु को प्राण कहा जाता है और ये प्राण एक शक्ति है जिससे शरीर में चेतना का निर्माण होता है। अगर हम एक पल भी सांस लेना बंद कर दें तो हमारा जीवन संकट में आ जाता है। जब हम सांस लेते है तो हमारे अंदर जा रही हवा या वायु पांच भागो में बाँट जाती है या यूँ कहियें कि ये वायु शरीर के भीतर पांच भागो में स्थिर हो जाती है।
व्यान :-
व्यान वो प्राणशक्ति मानी जाती है जो रक्त में मिलकर पूरे शरीर में व्याप्त होती है और शरीर के सभी अंगो तक पौषक तत्वों को पहुँचती है। रक्त में मिलने के कारण ये वायु पूरे शरीर में घूमती रहती है और इसी तरह ये सारे शरीर में व्यक्ति के जीवन के लिए जरूरी सभी तत्वों को पहुंचती रहती है। अगर व्यान वायु न हो तो शरीर किसी भी कार्य को नही कर सकता । जब ये वायु कुपित हो जाती है तो शरीर में अनेक तरह के रोग होने की सम्भावना बढ़ जाती है। ये मुख्यतः मांस और चर्बी में कार्य करके ये इन्हें सेहतमंद रखती है। ये शरीर से मोटापे को कम करती है और शरीर को पुनः जवान बनती है।
समान :-
ये वायु शरीर के नाभिक्षेत्र में स्थित पाचन क्रिया में स्थित प्राणशक्ति की तरह ही होती है और ये शरीर की हड्डियों का संतुलन बनाये रखती है। हड्डियों तक हवा को पहुँचाना बहुत ही मुश्किल होता है और इसीलिए ये वायु शरीर के लिए बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण होती है। इसके न होने से हड्डियाँ कमजोर हो जाती है। इसको अधिक मात्रा में पाने के लिए आप जितनी ताज़ी और शुद्ध हवा ग्रहण कर सको उतना अधिक अच्छा है। इस वायु से हड्डियों में लचीलापन भी बढ़ता है जिसकी वजह से जोड़ो के दर्द की शिकायत कम होती है।
अपान :-
इसका अर्थ नीचे वाली वायु से होता है जो शरीर के रस में होती है। यहाँ रस से अर्थ जल और बाकी के तरल पदार्थों से है। अपान वायु पक्वाशय में स्थित होती है और इसका कार्य मल, मूत्र, शुक्र, गर्भ और आर्तव को बाहर निकलना होता है। इस वायु के कुपित होने से व्यक्ति को मूत्राशय और गुर्दे से सम्बंधित रोग हो जाते है। अपान वो वायु है जो मलद्वार से बाहर निकलती है।
उदान :-
ये गले में स्थित वायु होती है। इसी वायु की वजह से व्यक्ति का स्वर निकलता है, जिससे व्यक्ति बोल पाता है। इसका अर्थ ऊपर की वायु से है जो स्नायुतंत्र में होती है और इसे संचालित भी करती है। साथ ही इस वायु को मस्तिष्क की क्रियाओं को संचालित करने वाली प्राणशक्ति भी माना जाता है। ये वायु व्यक्ति के विशुद्धि चक्र को भी जगती है।
प्राण :-
प्राण वायु तीन स्थानों से स्थित रहती है। पहला मुख, दूसरा खून और तीसरा फेफडे। ये प्राणों को धारण कर जीवन प्रदान करती है। अगर ये वायु न हो तो व्यक्ति न तो कुछ खा पायेगा और न ही पी पायेगा। साथ ही ये हमारे शरीर का हालचाल बताती है। अगर प्राण वायु दूषित हो जाती है तो व्यक्ति को श्वास सम्बंधित अंगो के विकार हो जाते है। क्योकि ये वायु खून और फेफड़ों में भी स्थित होती है तो इसका महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। ये खून को भी साफ़ करती है और प्राणों के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
इन सभी से मिलकर चेतना बनती है और मन संचालित होता है, जिससे शरीर का रक्षण और क्षरण होता है। अगर इनमे से किसी एक में भी दिक्कत आती है तो सभी प्रभावित होते है जिसके कारण मन, शरीर और चेतना में रोग और शोक आ जाता है। आगे हम बताएँगे की आयुर्वेदिक दवा कब और किस समय लेनी चाहिए। क्योंकि दवा का सम्बन्ध विकार से है। और विकार का सम्बन्ध वायु से है।

Tuesday, 19 January 2016

ताली बजाने से ठंड में निकलता है गर्म पानी

झारखंड के बोकारो जिले में एक पानी का कुंड ऐसा है, जहां ताली बजाने पर तेजी से पानी बाहर निकलता है। ऐसा लगता है मानो किसी बरतन में पानी उबल रहा हो।
ठंड में निकलता है गर्म पानी
यहां गर्मियों में ठंडा और सर्दियों में गर्म पानी निकलता है। लोगों का मानना है कि इसमें नहाने से चर्म रोग दूर होते हैं। साथ ही मन्नतें भी पूरी होती हैं। कुंड से निकलने वाला पानी जमुई नामक छोटी नाले से होते हुए गरगा नदी में मिलता है। इसे दलाही कुंड के नाम से जाना जाता है। कंक्रीट की दीवारों से घेरा हुआ छोटा जलाशय। बेहद साफ और औषधीय गुणों वाला है।(स्थानीय प्रचलन के अनुसार)।
कुंड पर शोध होना चाहिए


ऐसी जगहों पर पानी जमीन के बहुत नीचे से आता है। पानी का तापमान हमेशा फिक्स्ड होता है। तापमान घटना-बढ़ना शोध का विषय है। अगर इस पानी से नहाने पर चर्म रोग दूर होते हैं तो इसका मतलब इसमें गंधक और हीलियम गैस मिला हुआ है। ताली बजाने से ध्वनि तरंगों की वजह से पानी पर असर तो होता है लेकिन नीचे से ऊपर कैसे आता है यह पता करना होगा।
संक्रांति में लगता है मेला
वर्ष 1984 से यहां हर साल मकर संक्रांति पर मेला लगता है। लोग स्नान के लिए पहुंचते हैं। कुंड के पास दलाही गोसाईं नामक देवता का स्थान है। यहां हर रविवार लोग पूजा करने पहुंचते हैं।
बन सकता है पर्यटन केंद्र
2011-12 में पर्यटन विभाग ने इसकी दीवार बनवाई। इसके बाद इसकी तरफ किसी का ध्यान नहीं गया। लेकिन प्रशासन चाहे तो यह बेहतरीन पर्यटन स्थल बन सकता है।
यहां जाने का रास्ता
बोकारो से करीब 27 किमी दूर। सड़क से जगासुर तक उसके बाद कच्चे रास्ते पर करीब 300 मीटर पैदल चलना पड़ता है।
तेलंगाना : ताली बजाओ, नंदी के मुंह से पानी पाओ
तेलंगाना के करीमनगर जिले में कल्वाश्रीरामपुर मंडल में स्थित एदुलापुर पहाड़ी पर भगवान शिव का मंदिर है। वहां भी नंदी के सामने ताली बजाने पर उसके मुंह से पानी निकलता है। इसका कारण स्रोत पता करने की कोशिश भू-वैज्ञानिकों ने की थी। लेकिन कारण पता नहीं कर पाए।

Monday, 18 January 2016

Stop साइन आखिर किसने बनायाWho is Father of Traffic Safety

सिग्नल और साइन बोर्ड के ज़रिए आज दुनिया भर में ट्रैफिक संभाला जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि Stop साइन आखिर किसने बनाया? इसे बनाने वाले विलियम फ्लेप्स एनओ (William Phelps Eno) थे, जिन्होंने ट्रैफिक सर्किल, वन-वे रोड, टैक्सी स्टैंड व पैदल लोगों के लिए क्रॉसवॉक (ज़ेब्रा क्रॉसिंग) डिज़ाइन किया था, लेकिन उन्हें खुद गाड़ी चलानी नहीं आती थी। इतना ही नहीं, 1912 में फ्रांस पुलिस ने उन्हें सम्मान देते हुए मानद ड्राइविंग लाइसेंस भी जारी किया था, लेकिन उन्होंने इसका इस्तेमाल कभी नहीं किया।
कार ड्राइविंग को मानते थे 'सनक'
विलियम को हॉर्सराइडिंग बेहद पसंद थी, लेकिन ऑटोमोबाइल पर उनका बिल्कुल भी भरोसा नहीं था। वे इसे एक तरह की 'सनक' मानते थे, इसलिए उन्होंने ड्राइविंग भी नहीं सीखी। अपनी पूरी लाइफ में जहां भी उन्हें कार ट्रेवल करना होता, वे ड्राइवर के साथ ही जाते थे।
न्यूयॉर्क के लिए पहला सिटी ट्रैफिक कोड
न्यूयॉर्क में जन्मे विलियम (1858-1945) ने ट्रैफिक जाम से निजात दिलाने की दिशा में काफी काम किया। उस वक्त घोड़ागाड़ी और बग्घियों की वजह से काफी दिक्कतें आती थीं, जिसे देखते हुए 1903 में उन्होंने दुनिया का पहला सिटी ट्रैफिक कोड (न्यूयॉर्क शहर के लिए) तैयार किया। साथ ही न्यूयॉर्क, लंदन और पेरिस के लिए पहला ट्रैफिक प्लान भी तैयार किया। इसी के चलते विलियम को Father of Traffic Safety भी कहा जाता है।
वनवे स्ट्रीट, टैक्सी स्टैंड भी बनाए
विलियम ने न सिर्फ STOP साइन डिजाइन किया, बल्कि-
- वनवे स्ट्रीट, टैक्सी स्टैंड, ट्रैफिक सर्कल (रोटरी) और पैदल चलने वालों के लिए ज़ेब्रा क्रॉसिंग भी तैयार की।
- पहला Manual of police traffic regulations भी लिखा।
- पेरिस के Arc de Triomphe के लिए ट्रैफिक पैटर्न भी डिजाइन किया।
1921 में बनाया Eno फाउंडेशन
1921 में विलियम ने वॉशिगंटन डीसी में Eno Transportation Foundation भी स्थापित किया, जो एक नॉन-प्रॉफिट स्टडी सेंटर था। इसका मकसद ज़मीन, हवा और पानी, तीनों तरह के ट्रांसपोर्टेशन को इम्प्रूव करने के नए तरीके निकालना था। 
 

Facebook पर सेफ रहने की 11 TIPS

फेसबुक में ही ऐसी सेटिंग्स हैं जिनका इस्तेमाल करके हम अपनी प्राइवेट जानकारियों और पिक्चर्स को दूसरों की नजरों से बचा सकते हैं :
1. अपनी फोटो को अनचाहे लोगों से ऐसे बचाएं...
फेसबुक में प्राइवेसी सेटिंग्स का ऑप्शन होता है। इसके लिए सबसे पहले फेसबुक पेज पर ऊपर से राइट साइड में दिए गए आइकॉन पर क्लिक करें। इसके बाद 'See More Settings' पर क्लिक करें।
अब आपको 'Privacy Settings and Tools' ऑप्शन दिखाई देगा। इसमें सेटिंग्स को बदलकर आप अपनी प्रोफाइल को अनचाहे लोगों से छुपा सकते हैं। इसके लिए आपको 'Who can see my future posts?' पर क्लिक करना है। इसके बाद 'Only Me' पर क्लिक करें।

2. फॉलोअर्स की सेटिंग
इस सेटिंग्स के बाद आपके पोस्ट कोई अन्य यूजर नहीं देख सकता है। फेसबुक आपके फ्रेंड्स के साथ फॉलोअर्स को भी आपके पोस्ट देखने की अनुमति देता है। अगर अपने पोस्ट सिर्फ फ्रेंड्स को ही दिखाना चाहते हैं तो इसके लिए सबसे पहले सेटिंग्स में जाकर Followers ऑप्शन पर क्लिक करें। इसके बाद 'Who can follow me' ऑप्शन पर जाकर 'Everybody' से 'Friends' पर क्लिक करें।

3. कहीं से भी करें अकाउंट को लॉगआउट
कई बार हम अपना फेसबुक अकाउंट लॉगआउट करना भूल जाते हैं। ऐसे में इससे कोई भी छेड़छाड़ कर सकता है। हालांकि, इसे कहीं से भी लॉगआउट किया जा सकता है। यूजर फेसबुक अकाउंट ओपन करने के लिए जब भी लॉगइन करता है, उसका रिकॉर्ड सेव हो जाता है। यानी उसने कब, कहां और किस सिस्टम पर लॉगइन किया। अगर किसी सिस्टम पर वो लॉगआउट करना भूल गया है, तो उसे किसी भी सिस्टम से किया जा सकता है। फेसबुक के सिक्युरिटी ऑप्शन में यूजर्स के लिए ये सुविधा होती है। इसके लिए ये स्टेप फॉलो करें।
Settings > Security Settings > Where You're Logged In
यहां पर आपके लॉगइन से जुड़ी जानकारी में शहर का नाम और डिवाइस टाइप होता है। इसके सामने End activity का ऑप्शन होता है, जिस पर क्लिक करते ही पुरानी डिवाइस से यूजर का अकाउंट लॉगआउट हो जाता है।

4. फेसबुक लॉगइन अलर्ट को ON करें
इसका फायदा ये है कि कोई पर्सन आपके अकाउंट को गलत तरीके से ओपन करने की कोशिश करता है या गलत पासवर्ड डालता है तो उसका अलर्ट आपको ई-मेल ID पर मिल जाता है। फेसबुक के लॉगइन अलर्ट फीचर को ON करने के लिए ये स्टेप फॉलो करें।
Settings >> Security Settings >> Login Alerts
यहां पर यूजर को Notifications और Email address के अलर्ट ऑप्शन को ON करके सेव चेंज करना है।

5. सिक्युरिटी कोड एक्टिव करें
इस फीचर की मदद से आपको अकाउंट से जुड़ी जानकारी मिलती है। फेसबुक का ये फीचर स्मार्टफोन यूजर्स के लिए है। ऐसे यूजर्स जो फेसबुक ऐप का इस्तेमाल करते हैं, वे सिक्युरिटी के लिए कोड एक्टिव कर सकते हैं। इस कोड को ब्राउजर और ऐप दोनों की मदद से अप्लाई किया जाता है। कोड जनरेट करने के लिए इन स्टेप को फॉलो करें :
Settings >> Security Settings >> Code Generator
यहां पर कोड अनेबल का ऑप्शन आएगा। इस पर जैसे ही क्लिक करेंगे, एक बॉक्स आएगा जिसमें सिक्युरिटी नंबर डालना होता है। यूजर को सिक्युरिटी नंबर फेसबुक ऐप से मिलता है। ऐप के Menu में Code Generator का ऑप्शन होता है, जहां से ये नंबर मिलता है। इसे 30 सेकंड के अंदर बॉक्स में सबमिट करना होता है। हर 30 सेकंड में नया कोड जनरेट होता है। इसका फायदा यह होगा कि यदि कोई आपके अकाउंट में बदलाव करता है तो उसके लिए आपके मोबाइल अकाउंट की भी जरूरत पड़ेगी। 

6. https सिक्युरिटी चेक करें
फेसबुक की सिक्युरिटी को ध्यान में रखते हुए हमेशा ऐसे ब्राउजर का इस्तेमाल करना चाहिए जिसके एड्रेस बार पर https:// हो। यह हाईपरटैक्स्ट ट्रांसफर प्रोटोकॉल होता है। इसके आगे एक लॉक का साइन होता है, जिससे यूजर के अकाउंट को पूरी सिक्युरिटी मिलती है। आपको ऐसे ब्राउजर पर काम नहीं करना चाहिए जिस पर लॉक नहीं दिख रहा हो। साथ ही यूजर को अपना पुराना वेब ब्राउजर लगातार अपडेट करते रहना चाहिए।
यह बात केवल फेसबुक ही नहीं, किसी भी वेबसाइट को ओपन करते समय ध्यान रखनी चाहिए। 
7. फ्रेंड रिक्वेस्ट
कई बार हमें ऐसे यूजर्स की फ्रेंड रिक्वेस्ट मिलती है, जिन्हें हम नहीं जानते। साथ ही कई यूजर्स आपको बार-बार रिक्वेस्ट सेंड करते हैं। ये ऐसे यूजर्स हो सकते हैं जिनका मकसद आपके अकाउंट को हैक करना हो सकता है। ऐसे यूजर्स की रिक्वेस्ट को रोका जा सकता है।

इसके लिए सबसे पहले Privacy सेटिंग पर जाएं। इसके बाद Who can contact me? ऑप्शन में आपको 'Who can send you friend requests' सेटिंग मिलेगी। इस पर क्लिक करने के बाद आपको 'Everyone' to 'Friends of Friends' में से अपने मनपसंद ऑप्शन पर क्लिक करना है। 

8. मैसेज फिल्टर
अगर आपके इनबॉक्स में रोजाना कई सारे अनवॉन्टेड मैसेज आ रहे हैं, जिससे आपको परेशानी हो रही है, तो 'Whose messages do I want filtered into my inbox' पर क्लिक करें। इसमें आपको 'Basic' और 'Strict' ये दो ऑप्शन मिलेंगे। यह आपको तय करना है कि आप यहां किस तरह की सेटिंग करना चाहते हैं। इन्हें फिल्टर करना भी इसलिए जरूरी है क्योंकि इनसे भी आपकी प्राइवेट इन्फॉर्मेशन लीक हो सकती है।
9. हाइड FB ई-मेल एड्रेस
फेसबुक से आपके ई-मेल एड्रेस को चुराकर उस पर कई तरह के मैसेज और दूसरे मेल आते हैं। हालांकि, इसे छुपाने का भी ऑप्शन होता है। इसके लिए आपको 'Who can look you up using the email address you provided?' पर क्लिक करें। इसके लिए बाद 'Everyone' या 'Friends' पर क्लिक करें।

10. फोन नंबर
यदि आपने फेसबुक पर फोन नंबर दिया है, तो इसे भी यहां से चुराया जा सकता है। ऐसे में इसे हमेशा दूसरों से छुपाकर रखें। इसे हाइड रखने के लिए 'Who can look you up using the phone number you provided?' पर जाकर इसे 'Everyone' से हटाकर 'Friends' पर क्लिक करें।
11. टाइमलाइन और टैगिंग
कई बार कुछ गलत पोस्ट आपके अकाउंट के साथ शेयर कर दी जाती हैं। ऐसे में इस बात का ध्यान रखना बहुत जरूरी है कि कोई आपको टैग नहीं कर सके। इससे बचने के लिए आपको 'Timeline and Tagging Settings' में जाना होगा।
इन पर केवल 'Only Me' करें :
- 'Who can post on your timeline'
- 'Who can see posts you're tagged in on your timeline'
- 'Who can see what others post to your timeline'
- 'When you're tagged in a post, who do you want to add to the audience if they can already see it'

स्वामीजी के जीवन से जुड़े कुछ प्रचलित किस्से

12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद का जन्मदिन है। इस अवसर पर यहां जानिए स्वामीजी के जीवन से जुड़े कुछ प्रचलित किस्से। इन किस्सों में जीवन प्रबंधन के सूत्र भी छिपे हैं।
जब एक अमेरिकी महिला ने विवेकानंद के कपड़ों को कहा अजीब
स्वामी विवेकानंद शिकागो की विश्व धर्म संसद के लिए अमेरिका गए थे। धर्म संसद में कुछ दिन शेष थे। जाहिर है धर्म संसद में न तो उनका ऐतिहासिक उद्बोधन हुआ था और न ही उन्हें ख्याति मिली थी। अमेरिका पहुंचने के बाद भी वे संन्यासियों की वेशभूषा में ही रहते थे। उनके सिर पर पगड़ी, हाथों में डंडा और कंधों पर चादर डली हुई थी। एक दिन इसी वेशभूषा में वे शिकागो की सड़कों पर घूम कर रहे थे।
अमेरिका के लोगों के लिए स्वामीजी के कपड़े न सिर्फ अचरज की वजह थे, बल्कि काफी हद तक उनके लिए ये मजाक का विषय भी थे। स्वामीजी के पीछे-पीछे एक अमेरिकी महिला चल रही थी। उस महिला ने अपने साथी से कहा कि जरा इन महाशय को तो देखो, कैसी अजीब कपड़े पहन रखे हैं!
स्वामी विवेकानंद ने भी महिला की बात सुन ली और वे समझ गए कि अमेरिका के लोग उनकी भारतीय वेशभूषा का मजाक बना रहे हैं। वे रुके और उस महिला से बोले कि बहन! मेरे इन कपड़ों को देखकर आश्चर्य मत करो। तुम्हारे देश में कपड़ों से व्यक्ति की परख होती है, लेकिन मैं जिस देश से आया हूं, वहां व्यक्ति की परख कपड़ों से नहीं, बल्कि उसके चरित्र से होती है। कपड़े तो ऊपरी दिखावा हैं। चरित्र ही व्यक्तित्व का आधार है।
स्वामीजी के सटीक जवाब को सुनकर उस महिला का सिर शर्म से झुक गया। इसके बाद जब विश्व धर्म संसद का आयोजन हुआ तो स्वामीजी का अद्भुत संबोधन सुनकर अमेरिकावासियों के मन में उनके प्रति गहरी श्रद्धा का भाव आ गया और भारत के विषय में उनकी सोच बदल गई। इस तरह स्वामीजी ने भारतीय संस्कृति को मान दिलाया। व्यक्ति के आचरण से उसकी सच्ची पहचान होती है।
स्वामीजी की नजरों में ऐसे हो गए सभी एक समान
एक बार स्वामी विवेकानंद खेतड़ी से जयपुर आए। खेतड़ी के राजा उन्हें विदा करने के लिए जयपुर तक साथ आए थे। वहां शाम को मनोरंजन के लिए नृत्य और गायन का आयोजन रखा गया था। इस कार्यक्रम के लिए एक प्रसिद्ध नर्तकी को आमंत्रित किया गया था। जब स्वामीजी से इस आयोजन में उपस्थित होने का आग्रह किया गया तो उन्होंने कहा कि नृत्य-गायन में संन्यासी का उपस्थित रहना उचित नहीं है। जब नर्तकी को यह मालूम हुआ तो वह बहुत दुखी हो गई। नर्तकी को लगा कि क्या वह इतनी घृणा की पात्र है कि कोई संन्यासी उसकी उपस्थिति में कुछ देर बैठ भी नहीं सकते?
शाम को आयोजन शुरू हुआ। नर्तकी ने दर्द भरे स्वर में सूरदास का यह भक्ति गीत गाया- 'प्रभु मोरे अवगुण चित्त न धरो। समदरसी है नाम तिहारो, चाहो तो पार करो...।'
जब स्वामीजी ने भजन के बोल सुने तो वे नर्तकी का दुख समझ गए। बाद में उन्होंने नर्तकी से क्षमा मांगी। इस प्रसंग के बाद स्वामीजी की दृष्टि में सभी एक समान हो गए।

जब एक पढ़े-लिखे बेरोजगार युवक ने पूछा मैं कामयाब क्यों नहीं हूं
एक बार स्वामी विवेकानंद के आश्रम में एक व्यक्ति आया जो बहुत दुखी लग रहा था। उस व्यक्ति ने आते ही स्वामीजी के पैरों में गिर पड़ा और बोला कि मैं अपने जीवन से बहुत दुखी हूं, मैं बहुत मेहनत करता हूं, लेकिन कभी भी सफल नहीं हो पाता हूं। उसने विवेकानंद से पूछा कि भगवान ने मुझे ऐसा नसीब क्यों दिया है? मैं पढ़ा-लिखा और मेहनती हूं, फिर भी कामयाब नहीं हूं।
स्वामीजी उसकी परेशानी समझ गए। उस समय स्वामीजी के पास एक पालतू कुत्ता था, उन्होंने उस व्यक्ति से कहा कि तुम कुछ दूर तक मेरे कुत्ते को सैर करा लाओ। इसके बाद तुम्हारे सवाल का जवाब देता हूं।
वह व्यक्ति आश्चर्यचकित हो गया, फिर भी कुत्ते को लेकर निकल पड़ा। कुत्ते को सैर कराकर जब वह व्यक्ति वापस स्वामीजी के पास पहुंचा तो स्वामीजी ने देखा कि उस व्यक्ति का चेहरा अभी भी चमक रहा था, जबकि कुत्ता बहुत थका हुआ लग रहा था।
स्वामीजी ने व्यक्ति से पूछा कि यह कुत्ता इतना ज्यादा कैसे थक गया, जबकि तुम तो बिना थके दिख रहे हो।
व्यक्ति ने जवाब दिया कि मैं तो सीधे-साधे अपने रास्ते पर चल रहा था, लेकिन कुत्ता गली के सारे कुत्तों के पीछे भाग रहा था और लड़कर फिर वापस मेरे पास आ जाता था। हम दोनों ने एक समान रास्ता तय किया है, लेकिन फिर भी इस कुत्ते ने मुझसे कहीं ज्यादा दौड़ लगाई है इसलिए यह थक गया है।
स्वामीजी ने मुस्करा कर कहा कि यही तुम्हारे सभी प्रश्रों का जवाब है। तुम्हारी मंजिल तुम्हारे आसपास ही है। वह ज्यादा दूर नहीं है, लेकिन तुम मंजिल पर जाने की बजाय दूसरे लोगों के पीछे भागते रहते हो और अपनी मंजिल से दूर होते चले जाते हो।
यही बात सभी पर लागू होती है। अधिकांश लोग दूसरों की गलतियां देखते रहते हैं, दूसरों की सफलता से जलते हैं। अपने थोड़े से ज्ञान को बढाने की कोशिश नहीं करते हैं और अहंकार में दूसरों को कुछ भी समझते नहीं हैं।
इसी सोच से हम अपना बहुमूल्य समय और क्षमता दोनों खो बैठते हैं और जीवन एक संघर्ष मात्र बनकर रह जाता है। इस प्रसंग की सीख यही है कि दूसरों से होड़ नहीं करना चाहिए और अपने लक्ष्य दूसरों को देखकर नहीं, बल्कि खुद ही तय करना चाहिए।

हमारा ध्यान सिर्फ लक्ष्य पर होना चाहिए
एक बार स्वामी विवेकानंद अमेरिका में भ्रमण कर रहे थे। एक जगह से गुजरते हुए उन्होंने पुल पर खड़े कुछ लड़कों को देखा, वे नदी में तैर रहे अंडे के छिलकों पर बन्दूक से निशाना लगा रहे थे। किसी भी लड़के का एक भी निशाना सही नहीं लग रहा था। तब उन्होंने ने एक लड़के से बन्दूक ली और खुद निशाना लगाने लगे। उन्होंने पहला निशाना लगाया और वो बिलकुल सही लगा, फिर एक के बाद एक उन्होंने कुल 12 निशाने लगाए। सभी बिलकुल सटीक लगे।
ये देखकर लड़के दंग रह गए और उनसे पुछा- ‘स्वामी जी, भला आप ये कैसे कर लेते हैं? आपने सारे निशाने बिलकुल सटीक कैसे लगा लिए? स्वामी विवेकनन्द ने उत्तर दिया- ‘असंभव कुछ नहीं है, तुम जो भी कर रहे हो अपना पूरा दिमाग उसी एक काम में लगाओ। अगर तुम निशाना लगा रहे हो तो तम्हारा पूरा ध्यान सिर्फ अपने लक्ष्य पर होना चाहिए। तब तुम कभी भी चूकोगे नहीं। यदि तुम अपना पाठ पढ़ रहे हो तो सिर्फ पाठ के बारे में सोचो।

Monday, 11 January 2016

जब रेलवे ने 1st time टॉयलेट की सुविधा दी

इंडियन रेलवे बोगियों में प्लेन जैसी सुविधाएं देने वाला है। हर डिब्बे पर रेलवे लगभग 14 लाख रुपए खर्च कर रहा है। बोगियों के अलावा हाईटेक टॉयलेट्स भी बनाए जा रहे हैं। बता दें कि एक समय था जब ब्रिटिश इंडियन रेलवे में टॉयलेट्स नहीं हुआ करते थे। रेलवे ने टॉयलेट की सुविधा कैसे दी
 बात 1909 की है। उस वक्त ब्रिटिश इंडियन रेलवे में टॉयलेट्स नहीं हुआ करते थे। पैसेंजर्स ट्रेन के रुकने पर पटरियों के किनारे या आसपास के इलाके में टॉयलेट करने जाते थे। इस वजह से कई बार लोगों की ट्रेन छूट जाया करती थी। ऐसा ही वाकया वेस्ट बंगाल से सफ़र कर रहे ओखिल चंद्र सेन के साथ हुआ। वे टॉयलेट करने उतरे तो ट्रेन चल पड़ी। गार्ड की विह्सल सुनकर दौड़े, लेकिन गिर पड़े।
मजाकिया अंदाज में लिखा लैटर
इस हादसे के बाद ओखिल चंद्र सेन ने साहिबगंज डिविजनल रेलवे ऑफिस को मजाकिया अंदाज में लैटर लिखा। जिसमें उन्होंने धोती खुलने और उन पर लोगों के हंसने का भी जिक्र किया। इस लैटर के बाद ही रेलवे ने ट्रेन में टॉयलेट्स की सुविधा दी। आज भी ये लैटर नई दिल्ली के रेलवे म्यूजियम में रखा गया है। 

Saturday, 9 January 2016

फॉरेन लैंग्वेज सिखाने वाली ये हैं दुनिया की टॉप 7 फ्री वेबसाइट्सTop Websites For Foreign Language



1. Livemocha
link- http://livemocha.com/
इस वेबसाइट पर 190 देशों के 11 मिलियन (7 करोड़ से अधिक) मेम्बर्स रजिस्टर हैं। वेबसाइट पर 25 भाषाओं में फ्री और पेड लैंग्वेज कोर्स उपलब्ध हैं। इस वेबसाइट से एजुकेशन के पावरहाउस माने जाने वाले इंस्ट्टीयूट जुड़े हुए हैं। इसमें पियरसन एजुकेशन और कॉलिंस बाइलिंगुअल डिक्शनरी (Collins bilingual dictionaries) शामिल हैं।
लैंग्वेज सिखाने की शुरुआत बेसिक वर्ड्स और फ्रेजेस से होती है। इसके बाद कॉम्प्लेक्स लेसन और ग्रामर सिखाई जाती है। आप अपने स्पीकर के साथ बोलने की प्रैक्टिस भी कर सकते हैं। कोर्स में एडमिशन लेने के पहले सेम्पल क्लास भी अटैंड की जा सकती है।
2. BBC लैंग्वेज
http://www.bbc.co.uk/languages/

इस वेबसाइट पर इंग्लिश स्पीकर्स के लिए फ्रेंच, स्पेनिश, जर्मन, इटेलियन, ग्रीक, चाइनीज भाषाओं के ऑनलाइन लैंग्वेज सेशन उपलब्ध हैं। यूजर्स अपनी पसंद के अनुसार फुल, फ्री और 12 वीक के कोर्स ले सकते हैं। उन्हें कोर्स कंपलीट करने के बाद एक सर्टिफिकेट भी दिया जाता है। लर्निंग स्किल को स्ट्रांग बनाने के लिए वेबसाइट पर टीवी शो और न्यूज के ट्रांसस्क्रिप्ट और वीडियो भी दिए जाते हैं।

3. Internet Polyglot

http://www.internetpolyglot.com/
यह साइट किसी भी लैंग्वेज को जानने वाले यूजर्स के लिए बेस्ट ऑप्शन है जो दूसरी लैंग्वेज सीखना चाहते हैं। यहां बिगनर्स को vocabulary के बेसिक्स सिखाने के लिए फ्री लेसन हैं। यह लेसन 34 भाषाओं में उपलब्ध हैं। यहां मेम्बर्स दूसरे को सिखाने के लिए अपना लेसन खुद भी बना सकते हैं।

4. Word2word

link- http://www.word2word.com/
इस वेबसाइट पर आपको लैंग्वेज सिखाने के ढेरों ऑप्शन हैं। इसमें ऑनलाइन डिक्शनरी और ट्रांसलेशन, फ्री ऑन लाइन लैंग्वेज कोर्स, फ्री वीडियो, ऑडियो लैंग्वेज स्टेशन, फ्री लैंग्वेज सॉफ्टवेयर आदि शामिल हैं। यह सभी ऑप्शन्स 200 भाषाओं में उपलब्ध हैं। लैंग्वेज सीखने के साथ ही जो लोग अपनी को वॉकेबलरी इम्प्रूव करना चाहते हैं उनके लिए भी यह साइट अच्छा ऑप्शन है।

5. Busuu

link-http://www.busuu.com/enc/
इस वेबसाइट पर फॉरेन लैंग्वेज सीखने का एक्सपीरियंस बेहद आसान हो सकता है। यह वेबसाइट यूजर्स को मोबाइल ऐप डाउनलोडिंग का ऑप्शन भी देती है। इंटरेक्टिव सेशन अपनी चॉइस से चुन सकते हैं। बिगनर्स के लिए ग्रामेटिकल गाइड भी उपलब्ध है। कोर्स के आखिरी में एक्जाम देकर आप अपनी प्रोग्रेस को ट्रैक कर सकते हो।

6.Effective Language Learning

link-http://www.effectivelanguagelearning.com/
यह साइट सभी लैंग्वेज के लिए फ्री कोर्स मटेरियल उपलब्ध कराती है। मंडेरियन, चाइनीज, फ्रेंच, जर्मन, इटालियन और स्पेनिश लैंग्वेज सीखने वालों के लिए यह साइट बेस्ट ऑप्शन हो सकती है। इस साइट पर फ्री लैंग्वेज गाइड जिसमें आप जो लैंग्वेज सीखना चाहते हो उसकी जानकारी, फ्री लैंग्वेज सेशन, लैंग्वेज लर्निंग टिप्स और स्टेट्रजी, रिव्यूज जिसमें कोर्सेस के बारे में रेग्यूलर अपडेट दी जाती है।

7. 101Languages.net

link-http://www.101languages.net/
इस साइट अधिक से अधिक फॉरेन लैंग्वेज सीख सकते हैं। यहां वाउअल्स, कंसोनेंट, Verb और फ्रेजेस के लिए भी लेसन उपलब्ध हैं। वॉकेबलरी के लिए भी यहां लेसन दिए गए हैं।

Thursday, 7 January 2016

ये तीन बातें किसी पुरुष के बुरे वक्त की ओर इशारा करती हैं

अक्सर कई लोग छोटी-छोटी परेशानियों के कारण यह बोलते हैं कि उनकी किस्मत खराब है। आमतौर पर किस्मत खराब होने से यही आशय होता है कि जैसा हमने सोचा है, वैसा न हो या सोची गई चीजें प्राप्त न हो तो मान लिया जाता है कि किस्मत खराब है। जबकि छोटी-छोटी परेशानियों की वजह से किस्मत खराब नहीं हो सकती है। आचार्य चाणक्य ने पुरुषों के लिए तीन ऐसी स्थितियां बताई हैं, जब वाकई में यही आभास होता है कि व्यक्ति की किस्मत खराब है।
 आचार्य कहते हैं कि...

वृद्धकाले मृता भार्या बन्धुहस्ते गतं धनम्।
भोजनं च पराधीनं त्रय: पुंसां विडम्बना:।।
इस श्लोक में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि यदि किसी पुरुष की पत्नी जवानी में मर जाए तो वह दूसरा विवाह कर सकता है, लेकिन बुढ़ापे में पत्नी का मरना दुर्भाग्य की बात है।
किसी भी व्यक्ति के लिए बुढ़ापे में पत्नी का साथ सबसे ज्यादा जरूरी होता है। यदि बुढ़ापे में पत्नी मरती है तो फिर से विवाह हो पाना भी मुश्किल होता है। ऐसे में पत्नी के बिना वृद्ध पुरुष ठीक से जीवन व्यतीत नहीं कर सकता है। इसी वजह से बुढ़ापे में पत्नी का मरना, किसी भी पुरुष के लिए दुर्भाग्य की बात होती है।
 
 ये है बुरे समय की दूसरी निशानी
आचार्य चाणक्य ने दूसरी बात ये बताई है कि यदि कोई पुरुष किसी अन्य व्यक्ति पर आश्रित होता है, किसी दूसरे व्यक्ति का दिया हुआ खाना खाता है, पराए लोगों का गुलाम बनकर रहता है तो ऐसे पुरुष का जीवन नर्क के समान है। पुरुष को हमेशा कर्मशील रहना चाहिए।
जो पुरुष दूसरों पर आश्रित रहते हैं, वे कभी भी अपनी आजादी प्राप्त नहीं कर सकते हैं। उन्हें हर काम के लिए अपने अन्नदाता और पालक से सहयोग लेना पड़ता है। ऐसी परिस्थितियों से बचना ही पुरुष के लिए श्रेष्ठ रहता है, अन्यथा यही आभास होगा कि व्यक्ति की किस्मत खराब है।
 
ये है बुरे वक्त की तीसरी निशानी
यदि किसी व्यक्ति का सारा धन उसके दुश्मनों के हाथ में चले जाए तो वह बर्बाद हो जाता है। स्वयं की मेहनत से कमाया हुआ धन, दुश्मनों के हाथ लगने से व्यक्ति को दोहरे संकट का सामना करना पड़ सकता है। व्यक्ति के दुश्मन उसी के धन उपयोग उसके विरुद्ध करेंगे। ऐसी परिस्थिति में वह दुश्मनों से पराजित होगा और धन के अभाव में खुद की जीविका भी ठीक से नहीं चला पाएगा।

Tuesday, 5 January 2016

महीनों के नाम कैसे पड़ेReason Behind How to decide name of month



महीने के नामों को तो हम सभी जानते हैं, लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि महीनों के यह नाम कैसे पड़े। जनवरी से लेकर दिसंबर तक के महीनों के नाम के पीछे कोई न कोई कारण है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं, किस तरह पड़े अंग्रेजी कैलेंडर के महीनों के नाम-
जनवरी
रोमन देवता जेनस (जानूस) के नाम पर वर्ष के पहले महीने जनवरी का नामकरण हुआ। मान्यता है कि जेनस के दो चेहरे हैं। एक से वह आगे तथा दूसरे से पीछे देखता है। इसी तरह जनवरी के भी दो चेहरे हैं। एक से वह बीते हुए वर्ष को देखता है तथा दूसरे से अगले वर्ष को। जेनस को लैटिन में जैनअरिस कहा गया। जेनस जो बाद में जेनुअरी बना जो हिन्दी में जनवरी हो गया।
फरवरी
इस महीने का संबंध लेटिन के फैबरा से है, इसका अर्थ है शुद्धि का त्योहार। लेटिन के लोग इसी महीने में अपने घरों और इमारतों की शुद्धि करते थे, जिसके आधार पर इस महीने का नाम फरवरी पड़ गया। कुछ लोग फरवरी नाम का संबंध रोम की एक देवी फेबरुएरिया से भी मानते हैं। जो संतान की देवी मानी गई है इसलिए महिलाएं इस महीने इस देवी की पूजा करती थीं ताकि वे प्रसन्न होकर उन्हें संतान होने का आशीर्वाद दें।

मार्च
रोमन देवता मार्स  के नाम पर मार्च महीने का नामकरण हुआ। मार्स को रोमन के युद्ध का देवता माना जाता था। रोमन वर्ष का प्रारंभ इसी महीने से होता था। रोमन देवता के सम्मान में इस महीने को मार्च नाम से पुकारा गया।
अप्रैल
इस महीने की उत्पत्ति लैटिन शब्द 'एस्पेरायर' से हुई, इसका अर्थ है खुलना। रोम में इसी महीने में कलियां खिलकर फूल बनती थीं यानि बसंत आता था। इसलिए अप्रैल को नई शुरुआत और खुशियों का महीना माना जाता है।

मई
माइया एक रोमन देवी थी, जो की रोमन के भगवान बुध की मां और ईश्वर-एटलस की बेटी थीं। देवी माइया को नए पेड़-पौधों की रक्षा का प्रभारी माना जाता था। रोमन मान्यताओं के अनुसार, अप्रैल में खिले फूलों की रक्षा माइया देवी ही करती हैं। इन्हीं के सम्मान में इस महीने को मई कहा जाता है।

जून
रोमन मान्यताओं के अनुसार, जिस तरह हमारे यहां इंद्र को देवताओं का स्वामी माना गया है, उसी प्रकार रोम में भी सबसे बड़े देवता जीयस हैं एवं उनकी पत्नी का नाम है जूनो। इसी देवी के नाम पर जून का नामकरण हुआ
जुलाई
राजा जूलियस सीजर रोम के महान शासकों में से एक थे। उनका जन्म और मृत्यु दोनों ही इसी महीने में हुए थे। इसलिए इस महीने का नाम जुलाई कर दिया गया।

अगस्त
रोम के महान शासक जूलियस सीजर का भतीजे आगस्टस सीजर भी उन्हीं की तरह महान राजा था। उसके अपने नाम को अमर बनाने के लिए इस महीने का नाम अगस्टस रखा गया, जो बाद में केवल अगस्त रह गया।
सितंबर
रोम में सितंबर सैप्टेंबर कहा जाता था। सेप्टैंबर में सेप्टै लेटिन शब्द है, जिसका अर्थ है सात और बर का अर्थ है वां यानी सेप्टैंबर का अर्थ सातवां, लेकिन समय के साथ ही यह नौवां महीना बन गया
अक्टूबर
इसे लैटिन आक्ट (आठ) के आधार पर अक्टूबर या आठवां कहते थे, लेकिन कुछ समय बीतने पर यह दसवां महीना हो गया। दसवां महीना होने पर भी इसका नाम अक्टूबर ही चलता रहा।
नवंबर
नवंबर को लैटिन में पहले 'नोवेम्बर' यानी नौवां कहा गया। ग्यारहवां महीना बनने पर भी इसका नाम नहीं बदला और इसे नोवेम्बर से नवंबर कहा जाने लगा

दिसंबर
इसी प्रकार लैटिन शब्दावली के आधार पर डिसेंम यानि दस होता है, लेकिन साल का12वां महीना बनने पर भी इसका नाम नहीं बदला गया।