अक्सर कई लोग छोटी-छोटी परेशानियों के कारण यह बोलते हैं कि उनकी किस्मत
खराब है। आमतौर पर किस्मत खराब होने से यही आशय होता है कि जैसा हमने सोचा
है, वैसा न हो या सोची गई चीजें प्राप्त न हो तो मान लिया जाता है कि
किस्मत खराब है। जबकि छोटी-छोटी परेशानियों की वजह से किस्मत खराब नहीं हो
सकती है। आचार्य चाणक्य ने पुरुषों के लिए तीन ऐसी स्थितियां बताई हैं, जब
वाकई में यही आभास होता है कि व्यक्ति की किस्मत खराब है।
आचार्य कहते हैं कि...
वृद्धकाले मृता भार्या बन्धुहस्ते गतं धनम्।
भोजनं च पराधीनं त्रय: पुंसां विडम्बना:।।
इस श्लोक में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि यदि किसी पुरुष की पत्नी
जवानी में मर जाए तो वह दूसरा विवाह कर सकता है, लेकिन बुढ़ापे में पत्नी
का मरना दुर्भाग्य की बात है।
किसी भी व्यक्ति के लिए बुढ़ापे में पत्नी का साथ सबसे ज्यादा जरूरी
होता है। यदि बुढ़ापे में पत्नी मरती है तो फिर से विवाह हो पाना भी
मुश्किल होता है। ऐसे में पत्नी के बिना वृद्ध पुरुष ठीक से जीवन व्यतीत
नहीं कर सकता है। इसी वजह से बुढ़ापे में पत्नी का मरना, किसी भी पुरुष के
लिए दुर्भाग्य की बात होती है।
ये है बुरे समय की दूसरी निशानी
आचार्य चाणक्य ने दूसरी बात ये बताई है कि यदि कोई पुरुष किसी अन्य
व्यक्ति पर आश्रित होता है, किसी दूसरे व्यक्ति का दिया हुआ खाना खाता है,
पराए लोगों का गुलाम बनकर रहता है तो ऐसे पुरुष का जीवन नर्क के समान है।
पुरुष को हमेशा कर्मशील रहना चाहिए।
जो पुरुष दूसरों पर आश्रित रहते हैं, वे कभी भी अपनी आजादी प्राप्त नहीं कर
सकते हैं। उन्हें हर काम के लिए अपने अन्नदाता और पालक से सहयोग लेना
पड़ता है। ऐसी परिस्थितियों से बचना ही पुरुष के लिए श्रेष्ठ रहता है,
अन्यथा यही आभास होगा कि व्यक्ति की किस्मत खराब है।
ये है बुरे वक्त की तीसरी निशानी
यदि किसी व्यक्ति का सारा धन उसके दुश्मनों के हाथ में चले जाए तो वह
बर्बाद हो जाता है। स्वयं की मेहनत से कमाया हुआ धन, दुश्मनों के हाथ लगने
से व्यक्ति को दोहरे संकट का सामना करना पड़ सकता है। व्यक्ति के दुश्मन
उसी के धन उपयोग उसके विरुद्ध करेंगे। ऐसी परिस्थिति में वह दुश्मनों से
पराजित होगा और धन के अभाव में खुद की जीविका भी ठीक से नहीं चला पाएगा।
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