Tuesday, 5 January 2016

महीनों के नाम कैसे पड़ेReason Behind How to decide name of month



महीने के नामों को तो हम सभी जानते हैं, लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि महीनों के यह नाम कैसे पड़े। जनवरी से लेकर दिसंबर तक के महीनों के नाम के पीछे कोई न कोई कारण है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं, किस तरह पड़े अंग्रेजी कैलेंडर के महीनों के नाम-
जनवरी
रोमन देवता जेनस (जानूस) के नाम पर वर्ष के पहले महीने जनवरी का नामकरण हुआ। मान्यता है कि जेनस के दो चेहरे हैं। एक से वह आगे तथा दूसरे से पीछे देखता है। इसी तरह जनवरी के भी दो चेहरे हैं। एक से वह बीते हुए वर्ष को देखता है तथा दूसरे से अगले वर्ष को। जेनस को लैटिन में जैनअरिस कहा गया। जेनस जो बाद में जेनुअरी बना जो हिन्दी में जनवरी हो गया।
फरवरी
इस महीने का संबंध लेटिन के फैबरा से है, इसका अर्थ है शुद्धि का त्योहार। लेटिन के लोग इसी महीने में अपने घरों और इमारतों की शुद्धि करते थे, जिसके आधार पर इस महीने का नाम फरवरी पड़ गया। कुछ लोग फरवरी नाम का संबंध रोम की एक देवी फेबरुएरिया से भी मानते हैं। जो संतान की देवी मानी गई है इसलिए महिलाएं इस महीने इस देवी की पूजा करती थीं ताकि वे प्रसन्न होकर उन्हें संतान होने का आशीर्वाद दें।

मार्च
रोमन देवता मार्स  के नाम पर मार्च महीने का नामकरण हुआ। मार्स को रोमन के युद्ध का देवता माना जाता था। रोमन वर्ष का प्रारंभ इसी महीने से होता था। रोमन देवता के सम्मान में इस महीने को मार्च नाम से पुकारा गया।
अप्रैल
इस महीने की उत्पत्ति लैटिन शब्द 'एस्पेरायर' से हुई, इसका अर्थ है खुलना। रोम में इसी महीने में कलियां खिलकर फूल बनती थीं यानि बसंत आता था। इसलिए अप्रैल को नई शुरुआत और खुशियों का महीना माना जाता है।

मई
माइया एक रोमन देवी थी, जो की रोमन के भगवान बुध की मां और ईश्वर-एटलस की बेटी थीं। देवी माइया को नए पेड़-पौधों की रक्षा का प्रभारी माना जाता था। रोमन मान्यताओं के अनुसार, अप्रैल में खिले फूलों की रक्षा माइया देवी ही करती हैं। इन्हीं के सम्मान में इस महीने को मई कहा जाता है।

जून
रोमन मान्यताओं के अनुसार, जिस तरह हमारे यहां इंद्र को देवताओं का स्वामी माना गया है, उसी प्रकार रोम में भी सबसे बड़े देवता जीयस हैं एवं उनकी पत्नी का नाम है जूनो। इसी देवी के नाम पर जून का नामकरण हुआ
जुलाई
राजा जूलियस सीजर रोम के महान शासकों में से एक थे। उनका जन्म और मृत्यु दोनों ही इसी महीने में हुए थे। इसलिए इस महीने का नाम जुलाई कर दिया गया।

अगस्त
रोम के महान शासक जूलियस सीजर का भतीजे आगस्टस सीजर भी उन्हीं की तरह महान राजा था। उसके अपने नाम को अमर बनाने के लिए इस महीने का नाम अगस्टस रखा गया, जो बाद में केवल अगस्त रह गया।
सितंबर
रोम में सितंबर सैप्टेंबर कहा जाता था। सेप्टैंबर में सेप्टै लेटिन शब्द है, जिसका अर्थ है सात और बर का अर्थ है वां यानी सेप्टैंबर का अर्थ सातवां, लेकिन समय के साथ ही यह नौवां महीना बन गया
अक्टूबर
इसे लैटिन आक्ट (आठ) के आधार पर अक्टूबर या आठवां कहते थे, लेकिन कुछ समय बीतने पर यह दसवां महीना हो गया। दसवां महीना होने पर भी इसका नाम अक्टूबर ही चलता रहा।
नवंबर
नवंबर को लैटिन में पहले 'नोवेम्बर' यानी नौवां कहा गया। ग्यारहवां महीना बनने पर भी इसका नाम नहीं बदला और इसे नोवेम्बर से नवंबर कहा जाने लगा

दिसंबर
इसी प्रकार लैटिन शब्दावली के आधार पर डिसेंम यानि दस होता है, लेकिन साल का12वां महीना बनने पर भी इसका नाम नहीं बदला गया।

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