इंडियन रेलवे बोगियों में प्लेन जैसी सुविधाएं देने वाला है। हर
डिब्बे पर रेलवे लगभग 14 लाख रुपए खर्च कर रहा है। बोगियों के अलावा हाईटेक
टॉयलेट्स भी बनाए जा रहे हैं। बता दें कि एक समय था जब ब्रिटिश इंडियन
रेलवे में टॉयलेट्स नहीं हुआ करते थे। रेलवे ने टॉयलेट की सुविधा कैसे दी
बात 1909 की है। उस वक्त ब्रिटिश इंडियन रेलवे में टॉयलेट्स नहीं हुआ
करते थे। पैसेंजर्स ट्रेन के रुकने पर पटरियों के किनारे या आसपास के इलाके
में टॉयलेट करने जाते थे। इस वजह से कई बार लोगों की ट्रेन छूट जाया करती
थी। ऐसा ही वाकया वेस्ट बंगाल से सफ़र कर रहे ओखिल चंद्र सेन के साथ हुआ।
वे टॉयलेट करने उतरे तो ट्रेन चल पड़ी। गार्ड की विह्सल सुनकर दौड़े, लेकिन
गिर पड़े।
मजाकिया अंदाज में लिखा लैटर
इस हादसे के बाद ओखिल चंद्र सेन ने साहिबगंज डिविजनल रेलवे ऑफिस को
मजाकिया अंदाज में लैटर लिखा। जिसमें उन्होंने धोती खुलने और उन पर लोगों
के हंसने का भी जिक्र किया। इस लैटर के बाद ही रेलवे ने ट्रेन में
टॉयलेट्स की सुविधा दी। आज भी ये लैटर नई दिल्ली के रेलवे म्यूजियम में रखा
गया है।
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