जो लोग आचार्य चाणक्य की नीतियों का पालन करते हैं, वे कई प्रकार की
परेशानियों से बच सकते हैं और सफलता प्राप्त कर सकते हैं। चाणक्य
अर्थशास्त्र के आचार्य थे और वे श्रेष्ठ कूटनीतिज्ञ भी थे। चाणक्य ने अपनी
कूटनीति के बल पर ही एक सामान्य बालक चंद्रगुप्त को अखंड भारत का सम्राट
बनाया था। यहां जानिए चाणक्य की कुछ ऐसी नीतियां, जिनमें बताया गया है कि
कौन सी अच्छी बात कब व्यर्थ यानी बेकार हो जाती है...
1. ऐसे स्त्री-पुरुष की सुंदरता बेकार है...
चाणक्य कहते हैं कि ऐसे स्त्री-पुरुष की सुंदरता बेकार है, जिनमें गुण
और संस्कार ना हो। व्यक्ति में यदि अच्छे गुण, ज्ञान और संस्कार नहीं
होंगे तो वह बहुत सुंदर होने के बाद भी समाज में मान-सम्मान प्राप्त नहीं
कर पाएगा। गुणी व्यक्ति यदि दिखने सुंदर नहीं भी है तो उसे हर जगह सम्मान
ही मिलेगा। इसीलिए सुंदरता की अपेक्षा गुणों का अधिक महत्व माना जाता है।
2. ऐसे लोगों की विद्या व्यर्थ है...
जो लोग बहुत शिक्षित हैं, लेकिन उनके पास किसी काम की विशेषज्ञता नहीं
है तो उनकी शिक्षा व्यर्थ है। शिक्षा वही श्रेष्ठ है, जिसका उपयोग किया जा
सके। इसीलिए जिस काम में हम पारंगत हो सकते हैं, उससे संबंधित शिक्षा
प्राप्त करनी चाहिए।
3. ऐसा धन व्यर्थ है...
धन वही श्रेष्ठ है, जिसका उपभोग यानी उपयोग किया जा सके। जिस धन से खुद का,
परिवार का और समाज का कल्याण नहीं कर सकते है, वह धन व्यर्थ है। धन को जमा
करके रखने से अच्छा है कि धन से सभी की सुख-सविधाएं पूरी करने का प्रयास
करना चाहिए। यदि धन को जमा करते रहेंगे और उसका उपयोग नहीं करेंगे तो वह
ऐसे ही पड़ा रह जाएगा और हम उससे कोई सुख भी प्राप्त नहीं कर पाएंगे।
4. ऐसा उच्च कुल भी बर्बाद हो जाता है...
यदि कोई श्रेष्ठ और उच्च कुल है, लेकिन उसमें किसी एक व्यक्ति का चरित्र
अच्छा नहीं है तो वह उच्च कुल भी बर्बाद हो जाता है। बुरे चरित्र वाले
व्यक्ति के कारण पूरे कुल की बदनामी होती है। पिछले समय में कुल के लोगों
द्वारा किए गए अच्छे काम लोग भुल जाते हैं, लेकिन वर्तमान में किए गए बुरे
कामों के कारण पूरा कुल अपमानित होता है।
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