Wednesday, 23 December 2015

तानसेन के गुरु हरिदास



तानसेन से अकबर ने कहा मुझे तुम्हारे गुरु का गाना सुनना है
कहा जाता है कि एक दिन बादशाह अकबर ने तानसेन के गाना सुनने के बाद कहा कि तानसेन, तुम्हारे जैसा संगीतज्ञ और कोई नहीं है। तानसेन ने कान पकड़ लिए और बोले- ऐसा मत कहिए। मेरे गुरु हरिदास जी के आगे तो मैं कुछ भी नहीं। तब अकबर ने कहा - एक दिन उन्हें हमारे दरबार में दावत दो हम उनका संगीत सुनना चाहते हैं। तानसेन ने कहा कि उनके गुरू सिर्फ भगवान श्री कृष्ण के लिए ही गाते हैं, किसी व्यक्ति को प्रसन्न करने के लिए नहीं और न ही धन व प्रतिष्ठा प्राप्त करने के लिए। अगर आप उन्हें सुनना चाहते हैं तो अपने पद को भुलाकर व बादशाह के रूप में नहीं साधारण नागरिक के रूप में वृंदावन चलकर उनका गाना सुन सकते हैं।

अकबर ने उठाया था तानसेन का तानपुरा
तानसेन की बात सुनकर अकबर ने कहा - ठीक है हम वृंदावन जाकर उनका दीदार करेगें। तानसेन ने कहा- आप अगर सेवक के रूप में मेरा तानपुरा उठाकर चलें तो शायद स्वामीजी का भजन सुनने में सफलता मिल जाए। बादशाह राजी होकर साथ में चल दिया। उन्हें हरिदासजी का संगीत सुनने का मौका मिल गया। संगीत सुनने के बाद अकबर ने गुरु हरिदासजी से कहा स्वामीजी कुछ सेवा बताइए। हरिदासजी हंसे और बोले इन्हें बिहार घाट की उस सीढ़ी को दिखा दो जिसका एक कोना टूट गया है।

अकबर के खजाने में नहीं था एक भी रत्न
बादशाह को हरिदासजी द्वारा बताई गई सेवा बहुत छोटी लगी। अकबर ने जब बिहार घाट जाकर उस क्षतिग्रस्त सीढ़ी को देखा तो उस पर जैसे बहुमूल्य रत्न जड़े थे। ऐसा एक रत्न भी उसके खजाने में नहीं था। वापस आकर वह हरिदासजी के चरणों में झुक गया और उनसे कृपा बनाए रखने की गुजारिश करते हुए माफी मांगी।
बचपन में ऐसे थे गुरु हरिदास
गुरु हरिदास तानसेन के गुरु और भगवान कृष्ण के भक्त थे। कहा जाता है कि वह मुल्तान (पाकिस्तान) के रहने वाले थे। वहां से इनका परिवार अलीगढ़ आ गया और उसके सालों बाद हरिदासजी वृंदावन आ गए। हरिदासजी की आवाज बहुत अच्छी थी। जब वे कोई भजन गाते तो पूरा गांव उन्हें सुनने के लिए जमा हो जाता। उनकी पत्नी का नाम हरिमती था।
गृहत्याग कर वृंदावन आए
पिता की आज्ञा लेकर हरिदासजी वृंदावन आ गए। इसके बाद उन्होंने वहां लंबे समय तक साधना की। कहा जाता है कि वृंदावन में जब वह तानपुरा लेकर संगीत शुरू करते तो लोग झूमने लगते थे। कहा जाता है कि हरिदासजी रात के अंधेरे में किसी से बात किया करते थे। जब लोगों ने यह पता लगाने की कोशिश की वह किससे बात कर रहे हैं तो वहां कोई नहीं दिखा।

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