Friday, 4 December 2015

वनीला की जगह वेनेलिन जो डामर से बनता है



हमारे देश में लगातार डायबिटीज के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। इस कारण हमारे देश को अब डायबिटिक कैपिटल कहा जाने लगा है। हालांकि, डायबिटीज़ का संबंध सिर्फ शक्कर से नहीं है। फिर भी शक्कर जिस तरीके से बनाई जाती है, वह हमारे शरीर के लिए हानिकारक है। शकर बनाने में इन्सेक्टिसाइड का इस्तेमाल किया जाता है। जो लिक्विड मच्छर मारने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, उसी का यूज़ शक्कर बनाने में भी किया जाता है।
यह जानकारी लंबे समय से प्राकृतिक चिकित्सा पर काम कर रहे अरुण जोगदेव ने दी। वे यहां पर प्राकृतिक चिकित्सा और हेल्दी बैलेंस्ड डाइट विषय पर आयोजित एक वर्कशॉप में भाग लेने आए थे।
जोगदेव के अनुसार, जानें शक्कर के बारे में कुछ बातें, जो बेहद जरूरी हैं ...
·         शक्कर बनाने में इन्सेक्टिसाइड का इस्तेमाल किया जाता है, जो लिक्विड मच्छर मारने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
·         इसमें जो बैक्टीरिया होते हैं, वे थर्मोफिलिक होते हैं। 101 डिग्री के ताप पर भी ये मरते नहीं हैं।
·         गन्ने के जूस में फॉर्मेल्डिहाइड भी डाला जाता है जो कार्सिनोजनिक यानी कैंसरकारक है।
·         फॉस्फोरस पेन्टॉक्साइड का इस्तेमाल किया जाता है जो चूहे मारने की दवा में इस्तेमाल किया जाता है।
·         जब खून में शक्कर की मात्रा बढ़ जाती है खून की प्रवृत्ति मवाद बनाने की हो जाती है।
·         शक्कर की अधिक मात्रा हीमोग्लोबिन लेवल कम करेगी, प्रोटीन नष्ट करेगी और फैट सेल्स को भी डैमेज करेगी।
वनीला की जगह वेनेलिन जो डामर से बनता है
·         जोगदेव के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि आइसक्रीम, मिल्क फ्लेवर और एसेंस में वनीला का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन वनीला की एक कली 35 रुपए की मिलती है और एक किलो वनीला की कीमत है 4 लाख रुपए।
·         जोगदेव के अनुसार, वनीला की जगह वेनेलिन का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसे बनाने में डामर का इस्तेमाल भी किया जाता है। यह बात रॉयल सोसायटी ऑफ लंदन की केमिस्ट्री ऑफ फ्रेगरेंसेस नाम की किताब में छपी थी।
·         इसी तरह बिस्किट में जो घी इस्तेमाल होता है क्या वह शुद्ध हो सकता है। घी की कीमत है 400 रुपए किलो और बिस्किट का पैकेट तो पांच रुपए में भी मिल रहा है। शुद्ध घी इतना सस्ता कहां मिल रहा है। बिस्किट बनाने में डालडा का इस्तेमाल किया जा रहा है।
पेट की सेहत के लिए हाइड्रोथेरेपी करें
·         कन्स्ट्रक्शन साइट पर ठंडी रेत पर तालाबों में पशु अक्सर दिखते हैं। पानी का सही इस्तेमाल वे भी जानते हैं। हमें भी पेट की सेहत के लिए हाइड्रोथेरेपी लेनी चाहिए।
·         इसके लिए कॉटन का मोटा कपड़ा गीला करके दो तीन घंटे के लिए फ्रिज में रखें और फिर इसे पेट पर कुछ देर रखें।
·         पेट पर और निचले हिस्से की तरफ पट्टी आने दें। सीने पर रखें।
·         गैस्ट्रिक और पैनक्रियाज़ की सूजन कम होगी और इससे बॉडी के सेक्रेशन प्रॉपर होंगे।
·         हमारा लिवर 10 हज़ार एन्ज़ाइम्स पैदा कर सकता है। गलत आहार और एंटी बायोटिक ले-लेकर लिवर की फंक्शनिंग अफेक्ट होने लगती है।
·         पानी की पट्टी रखने से लिवर में सुधार होना शुरू हो जाता है। पट्टी खाना खाने के तुरंत बाद रखें। आधा एक घंटे बाद रख सकते हैं। बाकी दिन में कभी भी रखें।

गुड़ शहद अच्छे विकल्प
o   प्राकृतिक रूप से ईश्वर ने हमें शहद और गुड़ जैसे मीठे पदार्थ दिए हैं। इनसे शक्कर जैसे नुकसान नहीं होंगे।
o   गुड़ भी सफेद नहीं, लाल या गहरा कत्थई इस्तेमाल करें, क्योंकि गुड को सफेद करने के लिए निरमा या कॉस्टिक सोडा का इस्तेमाल किया जाता है।
o   खजूर, अंजीर, छुहारा खाइए।
·         असंतुलित आहार से एसिडिक हो जाता है खून
o   ब्लड की पीएच वैल्यू का ख्याल रखना ज़रूरी है। पीएच वैल्यू अगर 1 से 7 है तो खून एसिडिक है और 7 से 14 है तो अल्कलाइन है। पीएच वैल्यू 8 से ज्यादा बढ़े और 7 से कम हो।
o   खून प्राकृतिक रूप से अल्कलाइन बनाया गया है। रोग जंतु यानी माइक्रोब्स अल्कलाइन पीएच के मीडियम में मर जाते हैं।
o   गलत आहार से खून की पीएच वैल्यू कम होती जाती है और यह एसिडिक हो जाती है।

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