जो लोग नौकरी या जॉब करते हैं, उन्हें इस क्षेत्र में तरक्की पाने के
लिए लगातार अच्छा काम करना होता है। नौकरी में किसी भी समय की गई लापरवाही
या कामचोरी बड़ा नुकसान पहुंचा सकती है। यहां पढ़िए एक ऐसा किस्सा, जिसमें
एक कारीगर ने अपनी नौकरी के अंतिम दिनों में लापरवाही और कामचोरी की, जिससे
उसे ही बड़े नुकसान का सामना करना पड़ा...
एक कारीगर का किस्सा
एक बढ़ई (फर्नीचर बनाने वाला कारीगर) रिटायर होने की तैयारी में था।
उसने अपने मालिक से कहा कि अब वह घर बनाने का यह काम और नहीं करेगा। पत्नी
और बच्चों के साथ कुछ समय आराम से रहेगा। काम और इससे मिलने वाली आमदनी की
कमी खलेगी, लेकिन उसे आराम की जरूरत ज्यादा है।
मालिक को थोड़ा दुख हुआ क्योंकि उसका बहुत अच्छा कर्मचारी काम छोड़
रहा था, लेकिन उसने कारपेंटर के निर्णय को पूरा सम्मान दिया। उसने कारपेंटर
से कहा कि क्या वह सिर्फ एक और मकान उसके लिए बना सकता है। कारपेंटर ने
'हां' कह दिया, लेकिन उसका मन काम से उठ चुका था। कारीगर ने औसत दर्जे के
सहयोगी चुने और सामान भी घटिया स्तर का इस्तेमाल किया।
कारपेंटर ने अपना काम खत्म कर लिया और घर तैयार हो गया। मालिक ने
आश्चर्यजनक तरीके से घर के मुख्य दरवाजे की चाभी कारपेंटर को दी और कहा,
'अब से यह घर तुम्हारा है। मेरी ओर से ये एक भेंट है।'
यह सुनते ही कारीगर उदास हो गया। यदि उसे थोड़ा भी अंदाजा होता कि वह
अपने लिए ही घर बना रहा है तो वह इसे दूसरे तरीके से बनाता। अब उसे इसी घर
में रहना पड़ेगा, यह जानते हुए भी कि यह अच्छे से नहीं बना है।
यही अच्छे करियर का दुर्भाग्यपूर्ण अंत है।
कुछ ऐसा ही हमारे साथ भी होता है। हम अपने काम को अनमने ढंग से करते
हैं, अपनी सर्वश्रेष्ठ कोशिश करने से कतराते हैं। महत्वपूर्ण मौकों पर, हम
अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास नहीं करते। जबकि, हमें हर एक स्तर पर अपना
सर्वश्रेष्ठ काम करना चाहिए। तभी जिंदगी सुखद और शांत बनी रह सकती है।
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